:
राधिका पांडे अर्थशास्त्री”

परिचय: राधिका पांडे अर्थशास्त्री कौन हैं?
राधिका पांडे अर्थशास्त्री (Radhika Pandey) भारत की एक प्रतिष्ठित मैक्रोइकॉनोमिस्ट, नीति शोधकर्ता और शिक्षक थीं। वह नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP), नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर रही हैं और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर में भी पढ़ा चुकी थीं । 21 जून 2024 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके योगदान ने भारतीय आर्थिक नीति और पब्लिक संवाद पर गहरी छाप छोड़ी।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
राधिका पांडे (Radhika Pandey) ने (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) से अर्थशास्त्र में बी.ए. (आनर्स) किया। इसके बाद उन्होंने Jai Narain Vyas University, Jodhpur से M.A. और Ph.D. पूरी कीं । उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने उन्हें ऊर्जा, मौद्रिक नीति, व्यवसाय चक्र और वित्तीय नियमन जैसे जटिल क्षेत्रों में गहरी समझ प्रदान की।
पेशेवर जीवन: शिक्षा और नीति शोध
शिक्षण और अकादमिक भूमिका
2008 से उन्होंने NIPFP में वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता व बाद में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किया।
इससे पहले NLU जोधपुर में उन्होंने वित्त, कानून और विनियमन विषय पढ़ाए ।
नीतिगत योगदान
उन्होंने 2024 की Ministry of Finance Task‑Force on Public Debt Management Agency की लीड कोऑर्डिनेटर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वे कई केंद्रीय शोध समूहों की सदस्य रहीं—जैसे Financial Sector Legislative Reforms Commission (Justice B.N. Srikrishna के अधीन), Working Group on Foreign Investment (U.K. Sinha की अध्यक्षता में)
प्रमुख शोध और प्रकाशन
राधिका पांडे ने कई विषयों पर गहराई से शोध किया। इनमें प्रमुख हैं:
1. The journey of inflation targeting in India”(IGIDR Working Paper, 2024)
2. Understanding States’ Debt and Bond Markets”(NIPFP WP No. 410, 2024)
3. Potential implications of the EU’s Carbon Border Adjustment Mechanism”(NIPFP WP No. 408, 2024)
4. How is India Doing? Mid Year Macroeconomic Review”** (NIPFP WP No. 400, 2023)
5. Business Cycle Measurement in India”, चैंपियन शोध; साथ में Ila Patnaik व Ajay Shah—2018–19 ।
इन शोधों में उन्होंने मौद्रिक लक्ष्यों, राज्य ऋण प्रबंधन, कार्बन सीमा समायोजन, और आर्थिक चक्रों का विश्लेषण किया, जिसने नीति निर्माताओं को नई रणनीतियाँ अपनाने में मदद की।
मीडिया और सार्वजनिक संवाद

राधिका ने सिर्फ अकादमिक अनुसंधान तक सीमित नहीं रहकर आर्थिक नीतियों को आम जनता तक पहुंचाया:
ThePrint के लिए 2021 से “MacroSutra” वीडियो और कॉलम लिखीं।
वे Indian Express, Business Standard, Bloomberg Quint में भी नियमित रूप से लेख लिखती रहीं ([globalsourcepartners.com][5])।
विदेशी मुद्रा, मुद्रा डिजिटलाइजेशन (CBDC), MSME नीतियाँ और ऊर्जा क्षेत्र में उनके लेख व्यापक रूप से जाने गए।
एक चर्चा में, उन्होंने कहा कि CBDC कानूनी निविदा के डिजिटल रूप में उपयोगी हैं, लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले निवेश के साधन के रूप में यह आकर्षक नहीं हैं ।
सहकर्मियों की प्रशंसा और प्रभाव
Ila Patnaik, Aditya Birla Group की मुख्य अर्थशास्त्री, ने कहा:
There are so many policies of the Indian government where you can see Radhika’s influence and research… It is a tremendous loss for the community.
उन्होंने आगे कहा कि उनका शोध RBI के इंफ्लेशन‑टार्गेटिंग फ्रेमवर्क को आकार देने में सहायक रहा ।
Mandar Kagade, Black Dot Public Policy Advisors के संस्थापक ने उनकी संवाद क्षमता को सराहा:
Pandey was one of the only people I went to for any query about financial policy…
व्यक्तिगत जीवन और कार्यशैली
राधिका अत्यधिक समर्पित और कार्यशील थीं। वह ILBS अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद ThePrint के लिए MacroSutra वीडियो रिकॉर्ड करती रहीं । यह उनकी प्रतिबद्धता का जीता-जागता प्रमाण था।
निधन और विरासत
राधिका पांडे का 21 जून 2025 को ILBS, नई दिल्ली में लीवर ट्रांसप्लांट के बाद निधन हुआ । यह एक महान क्षति थी। उनकी प्रेरणा, शोध और सार्वजनिक संवाद देश के आर्थिक दृष्टिकोण को सदैव प्रभावित करती रहेगी।
राधिका पांडे अर्थशास्त्री की विरासत
राधिका पांडे अर्थशास्त्री एक बहुआयामी व्यक्तित्व थीं—शिक्षाविद्, नीति निर्माता, जनसंवादक। उनके अकादमिक योगदान और पब्लिक-फेस रणनीतियाँ भारत की आर्थिक व्यवस्था में नए दृष्टिकोण लेकर आईं।
उनकी प्रमुख ताकत थी:
- नीतिगत शोध और कार्यान्वयन
- मीडिया संवाद के माध्यम से जटिल विषयों को समझाना
- शिक्षा और नीति निर्माण के संगम पर दो दशक की सेवा
उनकी विरासत बनती रहेगी—प्रकाशन, शिक्षण, संवाद और नीति संरचना के माध्यम से। उनके जीवन का संदेश है कि विज्ञान केवल डेटा नहीं, बल्कि सामाजिक कल्याण की दिशा भी है।
“राधिका पांडे अर्थशास्त्री”